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Showing posts from October, 2009

तुम चुपके से आ जाना

SEEMA GUPTA सूरज जब मद्धम पड़ जाये और नभ पर लाली छा जाये शीतल पवन का एक झोंका तेरे बिखरे बालों को छु जाए चंदा की थाली निखरी हो तारे भी सो कर उठ जाए चोखट की सांकल खामोशी से निंदिया की आगोश में अलसाये बादल के टुकड़े उमड़ घुमड़ द्वारपाल बन चोक्न्ने हो जाये एकांत के झुरमुट में छुप कर मै द्वार ह्रदय का खोलूंगी तुम चुपके से आ जाना झाँक के मेरी आँखों मे एक पल में सदियाँ जी जाना