Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2017
7. अधिकांश   लेखक   दूसरे   की   प्रथा   पर   लिखने   से   बचते   हैं   आपको   नहीं   लगा   की   कुछ   गलत   लिख   दिया   तो .... - आपने   सही   कहा   है   कि   कोई   भी   लेखक   दूसरे   की   प्रथा   विशेष   कर   धार्मिक   प्रथाओं   पर   लिखने   से   बचता   है   और   बचाना   भी   चाहिए  l  मगर   यह   इस   पर   निर्भर   करता   है   कि   ऐसा   विषय   चुनते   हुए   उसकी   मंशा   और   नीयत   क्या   और   कैसी   है  l  ऐसा   ही   सवाल   कई   पाठकों   ने   मेरे   दूसरे   उपन्यास  ‘ बाबल   तेरा   देस   में ’   को   पढ़ने   के   बाद   उठाया   था  l  इस   उपन्यास   में   भी   ऐसे   मुद्दों   को   उठाया   गया   था  l  इस   बारे   में   मेरा   कहना   यह   है   कि   मुझे   बचना   या   डरना   तब   चाहिए   जब   मैं   दूसरे   मज़हब   या   धर्म   को   आहात   कर   रहा   हूँ  l  आप  ‘ हलाला ’  को   पढ़   कर   थोड़ी   देर   के   लिए   सहमत   या   असहमत   तो   हो   सकते   हैं   लेकिन   मेरी   बदनीयती   पर   सवाल   नहीं   उठा   सकते  l  हाँ ,  अगर   मुझे   सिर्फ़   विवादास्पद   होना   होता  ,  या   मुझे   कुछ